Folk Dance of Rajasthan

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  • सोमवार, 3 सितंबर 2012
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  • राजस्थान के लोकनृत्य 

    ईला-ईली नृत्य 

    1. यह नृत्य लोकदेवता ईला-ईली के सामने किया जाने जाता है।
    2. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार शाहीपरिवार  से जुड़े ईलोजी ( ईला ) राजा हिरण्यकश्यप के बहनोई थे।
    3. माना जाता है की ईलो जी की शादी से पहले ही होलिका जल कर मर गई थी जिसके वियोग में तडपते हुए ईलोजी ने होलिका की राख को अपने शरीर पर लगाया और आजीवन  कुंवारे रहे, इसलिए आज  भी जिसका विवाह नहीं हो पता है उसे "ईलोजी" के नाम से चिढाया जाता है ।
    4. ईलोजी द्वारा अपने शरीर पर राख लपेटने का वही वाक्या "धुलंडी" के नाम से प्रारंभ हुआ। इसलिए पहले दिन होलिका का दहन होता है और दुसरे दिन धुलंडी को सारे लोग धुल-गुलाल उछालते हुए मौज मस्ती करते है ।
    5. मेवाड़ में इस त्योंहार को मनाने को परम्परा ज्यादा है ।
    6. पुत्र कामना के लिए स्त्रिओं द्वारा यह नृत्य किया जाता है ।
    7. ईलोजी की सवारी बाड़मेर में निकलती है ।
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