Q . 1. घटियाला के शिलालेख कहाँ पर है और इन शिलालेखों पर किन शासको का वर्णन है ?
उत्तर: घटियाला के शिलालेख, घटियाला जैन मैन्दिर (जोधपुर) में है और यह शिलालेख 337 ई. का है, और इस पर कुक्कुक प्रतिहार का विवरण दिया गया है ।
Q . 2. नाथ प्रशस्ति किस लिए प्रसिद्द है और यह वर्तमान में कहाँ पर है ?
उत्तर: नाथ प्रशस्ति मेवाड़ में है और इस पर मेवाड़ के राजनितिक और सांस्कृतिक इतिहन का विवरण दिया गया है । नाथ प्रशस्ति वर्तमान में एकलिंग जी के मंदिर में और इस पर इसकी उत्कीर्ण तिथि 971 ई. दी गई है ।
Q . 3. रणकपुर प्रशस्ति से हमे किसके बारे में जानकारी मिलती है ?
उत्तर: रणकपुर प्रशस्ति रणकपुर के चौमुखा मंदिर में है और इस पर बाप्पा रावल से लेकर कुम्भा तक की जानकारी है । इस पर इसकी उत्कीर्ण तिथि 1439 ई. दी गई है ।
Q .4. आमेर की लेख में किन शासको का विवरण मिलता है ?
Q .4. आमेर की लेख में किन शासको का विवरण मिलता है ?
उत्तर: आमेर का लेख आमेर में है और आमेर के कच्छवाह राजवंश, प्रथ्विराज, भारमल, भाग्वंतदास और मानसिंह का उल्लेख मिलता है । यह लेख 1612 ई. में लिखा गया था ।
Q .6. साम्भर और अजमेर के चौहान शासको के बारे में हमें किस लिख से जानकारी मिलती है ?
Q . 5. मेवाड़ के महाराणा राजसिंह के बारे में हमें किस प्रशस्ति से जानकारी मिलती है ?
उत्तर: मेवाड़ के महाराणा राजसिंह के बारे में हमें राजप्रशस्ति से जानकारी मिलती है जो राजसमन्द झील के तट पर 9 चौकी के 25 शिलालेखों पर उत्कीर्ण है और इस शिलालेख पर इसकी उत्कीर्ण करने की तिथि 1676 ई. गई है । इस शिलालेख की रचना रणछोड़ भट्ट ने की थी और यह एक संस्कृत महाकाव्य है । यह विश्व का सबसे बड़ा शिलालेख है।
उत्तर: मेवाड़ के महाराणा राजसिंह के बारे में हमें राजप्रशस्ति से जानकारी मिलती है जो राजसमन्द झील के तट पर 9 चौकी के 25 शिलालेखों पर उत्कीर्ण है और इस शिलालेख पर इसकी उत्कीर्ण करने की तिथि 1676 ई. गई है । इस शिलालेख की रचना रणछोड़ भट्ट ने की थी और यह एक संस्कृत महाकाव्य है । यह विश्व का सबसे बड़ा शिलालेख है।
Q .6. साम्भर और अजमेर के चौहान शासको के बारे में हमें किस लिख से जानकारी मिलती है ?
उत्तर: साम्भर और अजमेर के चौहान शासको के बारे में हमें बिजोलिया लेख से जानकारी मिलती है, जो 1170 ई. में लिखा गया था और यह लेख बिजोलिया गाँव (भीलवाडा) के पाशर्वनाथ मंदिर में मिला है ।
विशेष बात :-
बिजोलिया शिलालेख जैन श्रावक लोलक ने बनवाया था। इसमें संभार और अजमेर के चौहानों को वात्सगौत्रिय ब्राहमण बताते हुए उनकी वंशावली दी गई है । इस शिलालेख का रचयिता गुन्भाद्र गुणभद्र था ।
विशेष बात :-
बिजोलिया शिलालेख जैन श्रावक लोलक ने बनवाया था। इसमें संभार और अजमेर के चौहानों को वात्सगौत्रिय ब्राहमण बताते हुए उनकी वंशावली दी गई है । इस शिलालेख का रचयिता गुन्भाद्र गुणभद्र था ।
Q . 7. वैधनाथ प्रशस्ति से हमें क्या जानकारी मिलती है ?
उत्तर: वैधनाथ प्रशस्ति 1719 ई. में लिखी गई थी, और यह प्रशस्ति पिछौला झील के पास (उदयपुर ) है । और इस प्रशस्ति से हमें बाप्पा रावल से लेकर संग्राम सिंह का संक्षिप्त विवरण मिलता है ।
Q . 8. कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति क्यों प्रसिद्द है ?
उत्तर: कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति 1460 ई. में लिखी गई थी इसके रचयिता कवी अत्रि और उसका पुत्र महेश था ।
कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति चितोड़ दुर्ग में है और इस पर हम्मीर, क्षेत्रसिंह (राणा खेता), मोकल और खास तौर पर महाराणा कुम्भा के बारे में जानकरी दी गई है ।
कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति चितोड़ दुर्ग में है और इस पर हम्मीर, क्षेत्रसिंह (राणा खेता), मोकल और खास तौर पर महाराणा कुम्भा के बारे में जानकरी दी गई है ।
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